कस्तूरी चोकलेटी रंग की, अंडाकार थैली में द्रव्य के रूप में मिलती है, जिसे सुखाकर इस्तेमाल किया जाता है। यह एक सुगंध छोड़ने बाला झिल्ली नुमा पदार्थ है, जो केवल नर कस्तूरी मृग की नाभि में पाया जाता है परन्तु कस्तूरी के कारन नर व् मादा दोनों मारे जाते है। प्राचीन काल से ही इसे परफ्यूम, धूप सामग्री, और दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद और प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली में, कस्तूरी को एक जीवन रक्षक दवा के रूप में माना जाता है और विभिन्न, हृदय मानसिक और मस्तिष्क संबंधी बीमारियों जैसे, कस्तूरी मिर्गी, दमा, हिस्टीरिया, निमोनिया दिल की बीमारी आदि में इस्तेमाल किया जाता है।
कस्तूरी दुनिया में सबसे महंगे पशु उत्पादों में से एक है जिसका मुख्य कारण यह है कि कस्तूरी तो केवल नर मृग से ही मिलती है वो भी साल भर के उमर के द.सामान्यतः एक कस्तूरी मृग से ३० से ४५ ग्राम तक कस्तूरी प्राप्त होती है पर यह मृग के उमर, आकार, रहन सहन, स्वस्थ्य से बढ़ भी सकती है इस तरह एक किलोग्राम कस्तूरी प्राप्त करने के लिए तीस से पचास के बीच मृगों को मारना पड़ता है।
कस्तूरी मृग 3000- 4000 मीट्रिक टन की ऊंचाई पर भारत, तिब्बत, नेपाल, चीन,अफगानिस्तान,पाकिस्तान, भूटान, बर्मा चीन, कोरिया, रूस और वियतनाम में कस्तूरी मृगो की पाँच प्रजातीआं पाई जाती है।